शहर की भीड़ भीड़ मे रहकर भी एकांत रहता हूँ इसलिए कि | हिंदी कविता

"शहर की भीड़ भीड़ मे रहकर भी एकांत रहता हूँ इसलिए किसी को भी खोने से डरता हूँ"

 शहर की भीड़ भीड़ मे रहकर भी एकांत रहता हूँ
इसलिए किसी को भी खोने से डरता हूँ

शहर की भीड़ भीड़ मे रहकर भी एकांत रहता हूँ इसलिए किसी को भी खोने से डरता हूँ

#Bheed

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