डिग्री भर थैली खुंटी पर टांग दी.... अनकही ख्वाहिशे | हिंदी विचार

"डिग्री भर थैली खुंटी पर टांग दी.... अनकही ख्वाहिशें चूल्हे में डाल दी... कहने वाले फिर भी मुड़ कर कह गए... बहू अगर परदे में होती तो अच्छी होती। ©bharti"

 डिग्री भर थैली खुंटी पर टांग दी....
अनकही ख्वाहिशें चूल्हे में डाल दी...
कहने वाले फिर भी मुड़ कर कह गए...
बहू अगर परदे में होती तो अच्छी होती।

©bharti

डिग्री भर थैली खुंटी पर टांग दी.... अनकही ख्वाहिशें चूल्हे में डाल दी... कहने वाले फिर भी मुड़ कर कह गए... बहू अगर परदे में होती तो अच्छी होती। ©bharti

डिग्री भर थैली खुंटी पर टांग दी....
अनकही ख्वाहिशें चूल्हे में डाल दी...
कहने वाले फिर भी मुड़ कर कह गए...
बहू अगर परदे में होती तो अच्छी होती।
© bharti

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