हाथ में बस मेरे ईमान ही रह गया,
जब जाना जमाने को तो ,मैं जैसे हैरान ही रह गई।
लोग तो न जाने क्या-क्या बन बैठे
मैं कुछ ना बन सकी, बस इंसान ही रह गई।।
मुनाफे जब-जब मिले , बांट दिए हमने।
अपनी जब बारी आई, तब नुकसान ही रह गया।।
विचारणीय कथनम
©Shanti Bunkar
#paani