बत्तियां जला दो अभी के अभी
ये अँधेरा मेरी आँखों को चुभता है
वो एक शख्स मुझसे इश्क़ करता है
हर रात मुझे रुलाता है
कुछ खुशिया है जो मेरे आँगन में चहकती बड़ी है
एक ग़म है की मुझे अंदर ही अंदर सताता है
अरमान एक सींचा था लाजवाब जिंदगी का
हर शाम आफ़ताब के संग वो ढलता चला जा रहा है
जिंदगी इतनी आसान नहीं “मुफ़लिस”
अंगारे पर चलकर मुस्कुराना पड़ता है।।
©Prachi Ki Panktiyaan
#panktiyaan #Poetry #poem #hindi_poetry