Meri Diary#Vs❤❤ आस के खेत में बीज को बोन के, काज क

"Meri Diary#Vs❤❤ आस के खेत में बीज को बोन के, काज किये हम बंद हैं सारे..... भीतर ही भीतर हैं खुद से लड़त हम, परिणाम नहीं अबहू अच्छे हमारे..... आग लगी अब भीतर ऐसी कुछ ना बचा, जले जो हम सारे के सारे..... आस ना मो को अब कोनो रहिस से, हम तो हैं अब श्री रघुनाथ सहारे....... जो भी करैं श्री रघुनाथ महाप्रभु, स्वीकार प्रभु सभी निर्णय तुम्हारे..... तार दियो या फिर मार दियो प्रभु, तरफ से नहीं कोई किंतु हमारे देहली पे माथ टिका कर, करते हैं हम नित अनुराग तुम्हारे...... कीजो कृपा हे कृपानिधि मोरे, और दीजो चरनन में स्थान तुमहारे.... 🙏🚩🏵जय जय प्रभु श्री राम🏵🚩🙏 ✍️Vibhor vashishtha Vs "

 Meri Diary#Vs❤❤
आस के खेत में बीज को बोन के, काज किये हम बंद हैं सारे.....
भीतर ही भीतर हैं खुद से लड़त हम, परिणाम नहीं अबहू अच्छे हमारे.....
आग लगी अब भीतर ऐसी कुछ ना बचा, जले जो हम सारे के सारे..... 
आस ना मो को अब कोनो रहिस से, हम तो हैं अब श्री रघुनाथ सहारे.......
जो भी करैं श्री रघुनाथ महाप्रभु, स्वीकार  प्रभु  सभी निर्णय तुम्हारे.....
तार दियो या फिर मार दियो प्रभु, तरफ से नहीं कोई किंतु हमारे
 देहली पे माथ टिका कर, करते हैं हम नित अनुराग तुम्हारे......
कीजो कृपा हे कृपानिधि मोरे, और दीजो चरनन में स्थान तुमहारे....
🙏🚩🏵जय जय प्रभु श्री राम🏵🚩🙏
✍️Vibhor vashishtha Vs

Meri Diary#Vs❤❤ आस के खेत में बीज को बोन के, काज किये हम बंद हैं सारे..... भीतर ही भीतर हैं खुद से लड़त हम, परिणाम नहीं अबहू अच्छे हमारे..... आग लगी अब भीतर ऐसी कुछ ना बचा, जले जो हम सारे के सारे..... आस ना मो को अब कोनो रहिस से, हम तो हैं अब श्री रघुनाथ सहारे....... जो भी करैं श्री रघुनाथ महाप्रभु, स्वीकार प्रभु सभी निर्णय तुम्हारे..... तार दियो या फिर मार दियो प्रभु, तरफ से नहीं कोई किंतु हमारे देहली पे माथ टिका कर, करते हैं हम नित अनुराग तुम्हारे...... कीजो कृपा हे कृपानिधि मोरे, और दीजो चरनन में स्थान तुमहारे.... 🙏🚩🏵जय जय प्रभु श्री राम🏵🚩🙏 ✍️Vibhor vashishtha Vs

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आस के खेत में बीज को बोन के, काज किये हम बंद हैं सारे.....
भीतर ही भीतर हैं खुद से लड़त हम, परिणाम नहीं अबहू अच्छे हमारे.....
आग लगी अब भीतर ऐसी कुछ ना बचा, जले जो हम सारे के सारे.....
आस ना मो को अब कोनो रहिस से, हम तो हैं अब श्री रघुनाथ सहारे.......
जो भी करैं श्री रघुनाथ महाप्रभु, स्वीकार प्रभु सभी निर्णय तुम्हारे.....
तार दियो या फिर मार दियो प्रभु, तरफ से नहीं कोई किंतु हमारे
देहली पे माथ टिका कर, करते हैं हम नित अनुराग तुम्हारे......

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