ज़ुल्म बेवज़ह तो हो नहीं सकता इरादा करके तो कोई रो न | हिंदी Shayari Vid
"ज़ुल्म बेवज़ह तो हो नहीं सकता
इरादा करके तो कोई रो नहीं सकता
महबूब से पूछने पे मिलने से मना करदे
बेरहम इतना तो कोई हो नहीं सकता
याद आने पे भी याद ना करें हमकों
इश्क़ निकम्मा इतना भी हमारा हो नहीं सकता हो नही सकता"
ज़ुल्म बेवज़ह तो हो नहीं सकता
इरादा करके तो कोई रो नहीं सकता
महबूब से पूछने पे मिलने से मना करदे
बेरहम इतना तो कोई हो नहीं सकता
याद आने पे भी याद ना करें हमकों
इश्क़ निकम्मा इतना भी हमारा हो नहीं सकता हो नही सकता