जुंबिश हुआ करती थी जाहा, अब सन्नाटे से लिपटा शोर है
सहर हुआ करती थी किलकारियों से, बंद कमरों में होती भोर है
कराह रहा कहीं कोई अपना, कहीं राम नाम सत्य ही ठौर है
कहीं भूखे रहकर हो रहा गुजारा, कहीं पैसों का चलता जोर है
सांसों की क़ीमत घट रही है अब, दिखता ना कोई छोर है
रूह कांप रही हर खबर देख कर,चाहे अपना हो या कोई और है
©smita@ishu
#Stay at home#Stay safe stay blessed 🙏🙏🙏
#Corona_Lockdown_Rush