कौन कहता है..इश्क़ में टूटकर उदास हूँ मैं,
अब तो इश्क़,मोहब्बत से दूर..बिल्कुल बिंदास हूँ मैं।
पागल हैं वो..जो जुदाई के बाद भी, मिलन का इंतज़ार करते हैं,
जल जातें हैं परवाने..फ़िर ना जाने क्यों शमां से प्यार करते हैं,
निकल पड़ा खुद की मंज़िल पर तन्हाँ..
सुकून के कितना पास हूँ मैं,
अब तो इश्क़, मोहब्बत से दूर..बिल्कुल बिंदास हूँ मैं 😊🤗
©राजेश तिवारी "रंजन"