मनहरण घनाक्षरी पानी की कमी है भारी,व्याकुल हैं न | हिंदी कविता Video

"मनहरण घनाक्षरी पानी की कमी है भारी,व्याकुल हैं नर-नारी पर मति गई मारी ,पानी तो बचाएंगे।।            नहीं रही हरियाली ,सूखी तरुओं की डाली,  वन सरोवर से खाली, कानन बचाएंगे।। सजग हम हो जाएं,जीवन में श्रम लाएं, पर्यावरण बचाएं, वृक्षों को लगाएंगे।। जल ही तो जीवन है,अनमोल ये धन है, कृतसंकल्प मन है, जल भी बचाएंगे।। चांदनी वाली रात हो, आतप की सौगात हो अमृत बरसात हो,प्रकृति को बचाएंगे।                मिलके लगाएं वृक्ष, नीर भी बनाएँ स्वच्छ, हों प्रकृति सेवा दक्ष, ताल तो बनाएंगे।। जीवन का आधार हो, उम्मीदों का संचार हो,  अद्भुत उपहार हो, धरा को सजाएंगे।।    आए  कैसे हरियाली, जंगल हुए हैं खाली। मिलकर हम सभी ,वनों को बचाएंगे।। उपवन बड़े प्यारे, रंगीले फूल हैं प्यारे, झूमें मधुकर न्यारे, बगीचा लगाएंगे।। चूनर धानी ओढ़ी है,नजर जरा मोड़ी है।  उदासी पर थोड़ी है,धरा को हंसाएंगे।।                   श्यामल शस्य खेत हैं , बिछी चाँदी सी रेत है। चाँदी  सी  उजियारी से, मन चमकाएंगे।। आशा शुक्ला,शाहजहाँपुर,उत्तरप्रदेश"

मनहरण घनाक्षरी पानी की कमी है भारी,व्याकुल हैं नर-नारी पर मति गई मारी ,पानी तो बचाएंगे।।            नहीं रही हरियाली ,सूखी तरुओं की डाली,  वन सरोवर से खाली, कानन बचाएंगे।। सजग हम हो जाएं,जीवन में श्रम लाएं, पर्यावरण बचाएं, वृक्षों को लगाएंगे।। जल ही तो जीवन है,अनमोल ये धन है, कृतसंकल्प मन है, जल भी बचाएंगे।। चांदनी वाली रात हो, आतप की सौगात हो अमृत बरसात हो,प्रकृति को बचाएंगे।                मिलके लगाएं वृक्ष, नीर भी बनाएँ स्वच्छ, हों प्रकृति सेवा दक्ष, ताल तो बनाएंगे।। जीवन का आधार हो, उम्मीदों का संचार हो,  अद्भुत उपहार हो, धरा को सजाएंगे।।    आए  कैसे हरियाली, जंगल हुए हैं खाली। मिलकर हम सभी ,वनों को बचाएंगे।। उपवन बड़े प्यारे, रंगीले फूल हैं प्यारे, झूमें मधुकर न्यारे, बगीचा लगाएंगे।। चूनर धानी ओढ़ी है,नजर जरा मोड़ी है।  उदासी पर थोड़ी है,धरा को हंसाएंगे।।                   श्यामल शस्य खेत हैं , बिछी चाँदी सी रेत है। चाँदी  सी  उजियारी से, मन चमकाएंगे।। आशा शुक्ला,शाहजहाँपुर,उत्तरप्रदेश

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