किसी देवी की मूरत सी हैं वो, मंदिर में पूजा भी करत | हिंदी कविता

"किसी देवी की मूरत सी हैं वो, मंदिर में पूजा भी करती है। वो मां हैं मेरी, परछाई बन कर हमेशा मेरे साथ चलती हैं। किसी इत्र की महक से भी ज्यादा तेरी दुआओं की खुशबू हैं, लोग कहते हैं कि तेरी किस्मत बहुत तेज चमकती हैं। किसी चांद की चांदनी सी खूबसूरत, वो मंद मंद मुस्काती हैं। मेरी मां में मुझे हर जन्म की जन्नत नजर आती हैं। मेरे हिस्से की खुशियों को वो कुछ ऐसे महफूज रखती हैं, कभी मेरी नजर उतारती तो कभी मंदिर में पूजा करती हैं। किसी बेजान घड़ी सी मेरी मां थक कर भी नहीं थकती हैं वो मां हैं मेरी, परछाई बन कर हमेशा मेरे साथ चलती हैं। - मोनिका वर्मा - 19.09.2023 ©Monika verma"

 किसी देवी की मूरत सी हैं वो, मंदिर में पूजा भी करती है।
वो मां हैं मेरी, परछाई बन कर हमेशा मेरे साथ चलती हैं।
किसी इत्र की महक से भी ज्यादा तेरी दुआओं की खुशबू हैं,
लोग कहते हैं कि तेरी किस्मत बहुत तेज चमकती हैं।
किसी चांद की चांदनी सी खूबसूरत, वो मंद मंद मुस्काती हैं।
मेरी मां में मुझे हर जन्म की जन्नत नजर आती हैं।
मेरे हिस्से की खुशियों को वो कुछ ऐसे महफूज रखती हैं,
कभी मेरी नजर उतारती तो कभी मंदिर में पूजा करती हैं।
किसी बेजान घड़ी सी मेरी मां थक कर भी नहीं थकती हैं
वो मां हैं मेरी, परछाई बन कर हमेशा मेरे साथ चलती हैं।
                                             - मोनिका वर्मा
                                             - 19.09.2023

©Monika verma

किसी देवी की मूरत सी हैं वो, मंदिर में पूजा भी करती है। वो मां हैं मेरी, परछाई बन कर हमेशा मेरे साथ चलती हैं। किसी इत्र की महक से भी ज्यादा तेरी दुआओं की खुशबू हैं, लोग कहते हैं कि तेरी किस्मत बहुत तेज चमकती हैं। किसी चांद की चांदनी सी खूबसूरत, वो मंद मंद मुस्काती हैं। मेरी मां में मुझे हर जन्म की जन्नत नजर आती हैं। मेरे हिस्से की खुशियों को वो कुछ ऐसे महफूज रखती हैं, कभी मेरी नजर उतारती तो कभी मंदिर में पूजा करती हैं। किसी बेजान घड़ी सी मेरी मां थक कर भी नहीं थकती हैं वो मां हैं मेरी, परछाई बन कर हमेशा मेरे साथ चलती हैं। - मोनिका वर्मा - 19.09.2023 ©Monika verma

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