White छोड दिया है उन राहों को जहाँ काँटे ही चुभोते | हिंदी कविता

"White छोड दिया है उन राहों को जहाँ काँटे ही चुभोते थे हर कोई, हमें फ़र्क ही नहीं पड़ता अब, की हमने सबसे माफ़ी ही माँग ली है, किससे कहें कुछ भी जब सब सही है अपने जेहन में, हम सबसे हटना चाहते हैं कोई मज़ा नहीं है अब जीवन मे! मौसम बदले, मंजर बदला न बदला उसका व्यावहार, कैसे तेरे साथ में जीउ, जब तुझसे न मुझको प्यार। ©Sarika Vahalia"

 White छोड दिया है उन राहों को जहाँ काँटे ही चुभोते थे हर कोई,  हमें फ़र्क ही नहीं पड़ता अब, की हमने सबसे माफ़ी ही माँग ली है, किससे कहें कुछ भी जब सब सही है अपने जेहन में, हम सबसे हटना चाहते हैं कोई मज़ा नहीं है अब जीवन मे!  मौसम बदले,  मंजर बदला न बदला उसका व्यावहार,  कैसे तेरे साथ में जीउ, जब  तुझसे न  मुझको प्यार।

©Sarika Vahalia

White छोड दिया है उन राहों को जहाँ काँटे ही चुभोते थे हर कोई, हमें फ़र्क ही नहीं पड़ता अब, की हमने सबसे माफ़ी ही माँग ली है, किससे कहें कुछ भी जब सब सही है अपने जेहन में, हम सबसे हटना चाहते हैं कोई मज़ा नहीं है अब जीवन मे! मौसम बदले, मंजर बदला न बदला उसका व्यावहार, कैसे तेरे साथ में जीउ, जब तुझसे न मुझको प्यार। ©Sarika Vahalia

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