तुम शाम की सुनहरी किरण सी जवान तो मैं चांद के अंध | हिंदी विचार

"तुम शाम की सुनहरी किरण सी जवान तो मैं चांद के अंधेरा सा गुमनाम हूं तुम सहर का नशा तो मैं रेत के बालू सा गुमनाम हूं तुम जैसे कोई ख़ूबसूरत ख़्वाब मैं जैसे किसी हादसा सा गुमनाम हूं ©Viresh Gupta"

 तुम शाम की सुनहरी किरण सी जवान
 तो मैं चांद के अंधेरा सा गुमनाम हूं 
तुम सहर का नशा 
तो मैं रेत के बालू सा गुमनाम हूं
तुम जैसे कोई ख़ूबसूरत ख़्वाब
मैं जैसे किसी हादसा सा गुमनाम हूं

©Viresh Gupta

तुम शाम की सुनहरी किरण सी जवान तो मैं चांद के अंधेरा सा गुमनाम हूं तुम सहर का नशा तो मैं रेत के बालू सा गुमनाम हूं तुम जैसे कोई ख़ूबसूरत ख़्वाब मैं जैसे किसी हादसा सा गुमनाम हूं ©Viresh Gupta

#गुमनाम

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