तुम्हारी बांहौं में हूं
ये लम्हा ख्त्म न हो..
बहुत तड़प कर ,रह गये थे हम
नाराज़गी की उमर लंबी क्यों रही
रोज मरकर, जिंदा होने की सबुत देते रहे हम
अब पास होकर, दूर मत जाना..
इस बार जुदा हुए, तो..
मेरे साथ ही ख़त्म होगा ये फसाना।!
तुमहारी.बांहों में हूं..
ये लम्हा ख़त्म नहो...!!
रेनू कुमारी-✍️
©Renu Kumari
#yaadein