White हर दिल में छुपा कोई राज़ है न साहिब
सबके जीने का अपना अंदाज है न साहिब..!
हुकूमतें आई हैं तो जायेंगी भी एक दिन
किसके सर रहा हर वक़्त ताज है न साहिब..!
अच्छा बुरा वक़्त नहीं इंसान हुआ करते हैं
वही तो कल था वही तो आज है न साहिब..!
बदल जाना कोई बुरी बात भी तो नहीं
सुबह आफ़ताब रात में महताब है न साहिब..!
एक की ख़ुशी दूसरे का ग़म ही तो कहा जाये
एक को माने तो दूजा नाराज है न साहिब..!
इतनी बड़ी ज़िंदगी कहीं तो फिसला होगा
इंसानी दामन में कहीं तो दाग़ है न साहिब..!
बदलेगी दुनिया और भी जाने क्या होगा
किसे फ़िक्र कि अभी तो आगाज है न साहिब..!
ग़ुमाँ किस किस का किया जाये हैरत बड़ी है
जब ज़िंदगी ही अपनी दगाबाज है न साहिब..!
©अज्ञात
#है ना साहिब