कुछ ख्वाहिशें मेरी भी तो मंजूर करो
यूँ हर मर्तबा खाली हाथ लौटाना भी तो ठीक नहीं..
कभी तो आँखों की भी सूना करो
हर मर्तबा अल्फाज़ खर्च करवाना भी तो ठीक नहीं...
देखो कभी तो, यूँ ही समझ जाओ ना
हर दफा शायरी करवाना भी तो ठीक नहीं।
©Rudra Amritanshu
#FindingOneself #Love