डर की गांठे खोले, निज साहस को तोले, अकेला लड़ना होग | हिंदी कविता

"डर की गांठे खोले, निज साहस को तोले, अकेला लड़ना होगा- जीवन की जय बोलें । सब है चालू गोले, सबके दागी चोले, नित अजीब खेला होगा- जीवन की जय बोले । जग भरा घातक शोले, जहर के द्रव्य घोले, हास्यजनक जगत होगा- जीवन की जय बोले । दुष्टों के बने टोले, आवारों से डोले, यहाँ विचित्र चरित्र होगा- जीवन की जय बोले। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich"

 डर की गांठे खोले,
निज साहस को तोले,
अकेला लड़ना होगा-
जीवन की जय बोलें ।

सब है चालू गोले,
सबके दागी चोले,
नित अजीब खेला होगा-
जीवन की जय बोले ।

जग भरा घातक शोले,
जहर के द्रव्य घोले,
हास्यजनक जगत होगा-
जीवन की जय बोले ।

दुष्टों के बने टोले,
आवारों से डोले,
यहाँ विचित्र चरित्र होगा-
जीवन की जय बोले।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich

डर की गांठे खोले, निज साहस को तोले, अकेला लड़ना होगा- जीवन की जय बोलें । सब है चालू गोले, सबके दागी चोले, नित अजीब खेला होगा- जीवन की जय बोले । जग भरा घातक शोले, जहर के द्रव्य घोले, हास्यजनक जगत होगा- जीवन की जय बोले । दुष्टों के बने टोले, आवारों से डोले, यहाँ विचित्र चरित्र होगा- जीवन की जय बोले। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich

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