अरे मैं पागल हूं स्नेह की एक किरण भूत करो सो जा पू | हिंदी विचार

"अरे मैं पागल हूं स्नेह की एक किरण भूत करो सो जा पूरी जिंदगी रोशनी से भर जाए गी पर मैं कैसे भूल गई मेरी जिंदगी में रोशनी की एक किरण भी नहीं लिखी हे खुदा ने क्यों भूल गई मैं जिस चीज को अपना कर दो वह चीज भेज मुझ से कोसों दूर चली जाती है क्यों किया मैंने ऐसा मैंने जितना कि बोला नहीं बोला था कुछ भी नहीं बोला था ओके देना आता सच सोच सोच के बराबर होता है ©sunil rathor"

 अरे मैं पागल हूं स्नेह की एक किरण भूत करो सो जा पूरी जिंदगी रोशनी से भर जाए गी 

पर मैं कैसे भूल गई मेरी जिंदगी में रोशनी की एक किरण भी नहीं लिखी हे खुदा ने क्यों भूल गई मैं जिस चीज को अपना कर दो वह चीज भेज मुझ से कोसों दूर चली जाती है
क्यों किया मैंने ऐसा मैंने जितना कि बोला नहीं बोला था कुछ भी नहीं बोला था ओके देना आता सच सोच सोच के बराबर होता है

©sunil rathor

अरे मैं पागल हूं स्नेह की एक किरण भूत करो सो जा पूरी जिंदगी रोशनी से भर जाए गी पर मैं कैसे भूल गई मेरी जिंदगी में रोशनी की एक किरण भी नहीं लिखी हे खुदा ने क्यों भूल गई मैं जिस चीज को अपना कर दो वह चीज भेज मुझ से कोसों दूर चली जाती है क्यों किया मैंने ऐसा मैंने जितना कि बोला नहीं बोला था कुछ भी नहीं बोला था ओके देना आता सच सोच सोच के बराबर होता है ©sunil rathor

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