जिस तरह हर कांच हीरा नहीं होता,उसी तरह हर कोई,
दोस्त नहीं होता, जिस तरह हीरे को नज़र नहीं लगती,
उसी तरह सच्ची दोस्ती, को किसी की नजर नहीं लगती.
सच्ची दोस्ती, लोहा नहीं, जो जंग लग जाये,
वह दोस्ती भी क्या जो टूट जाए,
वह प्यार भी क्या,
जिस से अपने रूठ कर टूट जाए,
दोस्ती और प्यार मैं इतना अन्तर है,
किसी की खुशी के लिए, सच्चा प्यार त्याग सकते हो,
लेकिन सच्चे दोस्त को नही,
सच्चे दोस्त की जगह किसी को नहीं दे सकते.✍️
©Sumit Mahajan
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