मुनाफिकों पे भरोसा छोड़ दे आरिफ नज़र बची तो तेर | हिंदी شاعری۔

"मुनाफिकों पे भरोसा छोड़ दे आरिफ नज़र बची तो तेरा सर उतार डालेंगे नज़र मेरी हमेशा दुश्मनों पे रही यह क्या खबर थी के अपने ही मार डालेंगे ©Zuber Khan"

 मुनाफिकों पे भरोसा छोड़ दे आरिफ 
 नज़र बची 
तो तेरा सर उतार डालेंगे  
नज़र मेरी हमेशा दुश्मनों पे रही 
यह क्या खबर थी के अपने ही मार डालेंगे

©Zuber Khan

मुनाफिकों पे भरोसा छोड़ दे आरिफ नज़र बची तो तेरा सर उतार डालेंगे नज़र मेरी हमेशा दुश्मनों पे रही यह क्या खबर थी के अपने ही मार डालेंगे ©Zuber Khan

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