मोटी माया सब तजें, झीनी तजी न जाय।
पीर पैगम्बर औलिया, झीनी सबको खाय ।।
मोटी माया यानी धन, पुत्र, स्त्री, घर आदि का त्याग तो आदमी कर देता है, पर झीनी माया यानी रूप, यश, सम्मान आदि का त्याग नहीं कर पाता है और यह झीनी यानी छोटी माया ही सारे दुखों की जननी है।
Kabir Das