Jai shree ram दादा जी ने नदी में पानी देखा।
पिताजी ने कुएं में।
हमने नल में देखा।
बच्चों ने बोतल में।
अब उनके बच्चे कहाँ देखेंगे?
पानी बचाया जा सकता है,
लेकिन बनाया नहीं जा सका,
जरूर विचार करें एवं
पानी को व्यर्थ न करें।
एक विनम्र अपील ।
संदीप जोशी
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