Unsplash सफलता के लिए एक अलग सी होड़ लगी है आजकल लोगों में। बेशक, हर कोई सफल होने की चाहत रखता है, लेकिन क्या वास्तव में हर वह शख्स जो सफलता के पीछे दिन-रात भाग रहा है, उसकी वास्तविक परिभाषा को समझता है? कुछ लोगों के लिए पैसा सफलता की कसौटी है, तो कुछ के लिए शानो-शौकत। लेकिन क्या यह परिभाषा सही है, या यह सिर्फ एक सतही परिभाषा है जो हमें असली सफलता से दूर ले जाती है?
क्या दिन के लाखों कमाने वाला वह व्यक्ति जिसके पास अपने परिवार को देने के लिए कुछ पल नहीं है, वास्तव में सफल है? या वह व्यक्ति जो अपने पैसों से महंगा इलाज तो करा सकता है, मगर मानसिक स्वास्थ्य नहीं खरीद सकता? या वह जिसके सोशल प्लेटफॉर्म पर लाखों फॉलोअर्स तो हैं, मगर एक भी ऐसा दोस्त या रिश्ता नहीं जहां वह दिल खोलकर रो सके और बेझिझक अपने दिल की सब बातें कह सके?
इसका यह अर्थ नहीं है कि पैसा, फॉलोअर्स, शानो-शौकत व्यर्थ हैं। लेकिन जीवन में संतुलन और सामंजस्य जरूरी है, ताकि हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त भी कर सकें और साथ ही अपने रिश्तों, दोस्तों, स्वास्थ्य का भी ध्यान रख सकें। जितना हम इन चीजों को महत्व देते हैं, उतना ही या उससे ज्यादा अपने सच्चे रिश्तों, दोस्तों और स्वास्थ्य को भी देना चाहिए। तब जीवन बेहद खूबसूरत और सार्थक हो सकता है, और तब हम वास्तव में सफल माने जाएंगे।
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