अब मुझे तन्हा शोड दो तो मेहरबानी होगी।
अब मुझसे मुखड़ा मोड़ लो तो मेहरबानी होगी।
अब बचा ही क्या है मुझमे सिवाए दर्द के।
ये दर्द भी निचोड़ लो मेहरबानी होगी।।
अब कबर तक है मेरी मंज़िल।
तुम अपना रास्ता मोड़ लो तो मेहरबानी होगी।।
अब उदास रहता हूं मैं तेरी यादों के भोज से।
कुश वजन उतार लो तो मेहरबानी होगी।।
अब खबर मत लो मेरी मै कैसा हु।
मुझे शोडदो मेरे हाल पे तो मेहरबानी होगी।।
तेरी याद कैसे कैसे मेरे लहू में ढल गयी।
अब दिल से निकल भी जाओ तो मेहरबानी होगी।
तम्माम उम्र ढला बलजिन्दर तेरे रंग में।
अब तुम भी पीघल जाओ तो मेहरबानी होगी
©Baljinder Lahoria
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