✍️आज की डायरी✍️ ✍️एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं | हिंदी कविता

"✍️आज की डायरी✍️ ✍️एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है✍️ बहुत ज़्यादा या कम नहीं रहता है , ये वक़्त है साथ हरदम नहीं रहता है , बदल जाओ ज़माने के साथ तुम भी , एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है।।(१) हर आदत भी बदल जायेगी एकदिन , कुछ चाहत भी बदल जायेगी एकदिन , उलझकर रह जाओगे कर्म-भाग्य में तुम, उम्मीद की आहट बदल जायेगी एकदिन , हर जख़्म का यहाँ मरहम नहीं रहता है । एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है ।।(२) गलतियों को तन्हाई में सोचना होता है , दिन -रात का चैन फ़िर खोना होता है , अपनों के बीच मुस्कुराना मजबूरी है , अकेले में बैठ कर फ़िर रोना होता है , हरपल साया भी हमदम नहीं रहता है । एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है ।।(३) जो भी हालात हों उन्हें बदलना होगा तुम्हें , अपने जज़्बात को काबू करना होगा तुम्हें , हौसला हो तो कुछ भी मुमकिन है जहाँ में, उम्मीदों के साथ बस आगे बढ़ना होगा तुम्हें, निराशाओं का दौर हर कदम नहीं रहता है । एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है ।।(४) ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र श्रीवास्तव"

 ✍️आज की डायरी✍️

     ✍️एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है✍️

बहुत ज़्यादा या कम नहीं रहता है ,
ये वक़्त है साथ हरदम नहीं रहता है ,
बदल जाओ ज़माने के साथ तुम भी ,
एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है।।(१)

हर आदत भी बदल जायेगी एकदिन ,
कुछ चाहत भी बदल जायेगी एकदिन ,
उलझकर रह जाओगे कर्म-भाग्य में तुम,
उम्मीद की आहट बदल जायेगी एकदिन ,
हर जख़्म का यहाँ मरहम नहीं रहता है ।
एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है ।।(२)

गलतियों को तन्हाई में सोचना होता है ,
दिन -रात का चैन फ़िर खोना होता है ,
अपनों के बीच मुस्कुराना मजबूरी है ,
अकेले में बैठ कर फ़िर रोना होता है ,
हरपल साया भी हमदम नहीं रहता है ।
एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है ।।(३)

जो भी हालात हों उन्हें बदलना होगा तुम्हें ,
अपने जज़्बात को काबू करना होगा तुम्हें ,
हौसला हो तो कुछ भी मुमकिन है जहाँ में,
उम्मीदों के साथ बस आगे बढ़ना होगा तुम्हें,
निराशाओं का दौर हर कदम नहीं रहता है ।
एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है ।।(४)

         ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र श्रीवास्तव

✍️आज की डायरी✍️ ✍️एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है✍️ बहुत ज़्यादा या कम नहीं रहता है , ये वक़्त है साथ हरदम नहीं रहता है , बदल जाओ ज़माने के साथ तुम भी , एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है।।(१) हर आदत भी बदल जायेगी एकदिन , कुछ चाहत भी बदल जायेगी एकदिन , उलझकर रह जाओगे कर्म-भाग्य में तुम, उम्मीद की आहट बदल जायेगी एकदिन , हर जख़्म का यहाँ मरहम नहीं रहता है । एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है ।।(२) गलतियों को तन्हाई में सोचना होता है , दिन -रात का चैन फ़िर खोना होता है , अपनों के बीच मुस्कुराना मजबूरी है , अकेले में बैठ कर फ़िर रोना होता है , हरपल साया भी हमदम नहीं रहता है । एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है ।।(३) जो भी हालात हों उन्हें बदलना होगा तुम्हें , अपने जज़्बात को काबू करना होगा तुम्हें , हौसला हो तो कुछ भी मुमकिन है जहाँ में, उम्मीदों के साथ बस आगे बढ़ना होगा तुम्हें, निराशाओं का दौर हर कदम नहीं रहता है । एक जैसा जहाँ में मौसम नहीं रहता है ।।(४) ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र श्रीवास्तव

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