Unsplash की हाँ एक ख़लिश है मेरे दिल में, ना वैसा ब | हिंदी शायरी

"Unsplash की हाँ एक ख़लिश है मेरे दिल में, ना वैसा बन पाने की जैसा उसने सोचा था कहीं चुभती है बातें की क्यों मैने उसको रोका था शायद ये सही है कि जाने वालों को रोका नहीं जाता रोक भी लो अगर तो कोई अपना नहीं बन पाता खैर... मैं सुधरता जरूर रहूंगा हर पल हर वक्त के साथ खामोश तो एक दिन सबको होना है मौत आने के बाद ©Hrishabh Srivastav"

 Unsplash की हाँ एक ख़लिश है मेरे दिल में, ना वैसा बन पाने की जैसा उसने सोचा था
कहीं चुभती है बातें की क्यों मैने उसको रोका था
शायद ये सही है कि जाने वालों को रोका नहीं जाता
रोक भी लो अगर तो कोई अपना नहीं बन पाता
खैर... मैं सुधरता जरूर रहूंगा हर पल हर वक्त के साथ 
खामोश तो एक दिन सबको होना है मौत आने के बाद

©Hrishabh Srivastav

Unsplash की हाँ एक ख़लिश है मेरे दिल में, ना वैसा बन पाने की जैसा उसने सोचा था कहीं चुभती है बातें की क्यों मैने उसको रोका था शायद ये सही है कि जाने वालों को रोका नहीं जाता रोक भी लो अगर तो कोई अपना नहीं बन पाता खैर... मैं सुधरता जरूर रहूंगा हर पल हर वक्त के साथ खामोश तो एक दिन सबको होना है मौत आने के बाद ©Hrishabh Srivastav

#Book शेरो शायरी 'दर्द भरी शायरी'

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