ख्वाहिशें रखलो तूम,
वतन पे फिदा होने की।
हर कोई तो रखता ख्वाहिश,
मौज मजे से जीने की।।
ख्वाहिशें रखलो तूम... वतन पे फिदा होने की....
हजारो ख्वाहिशें ऐसे ही,
किसी प्रियतम को प्रियतमा की।
किसी को बेवजह घूमकर,
नई नई गाड़ियों की।।
ख्वाहिशें रखलो तूम... वतन पे फिदा होने की.....
जो नहीं चाहता कभी हमें,
पर हमें चाहत उसके हां की।
ऐसी ख्वाहिशों से दम निकलेगा,
ना हिम्मत मिलेगी जीने की।।
ख्वाहिशें रख लो तूम... वतन पे फिदा होने की.....
बहोत सारे निकले अरमानों,
कब तक जीद रहेगी बेअब्रू होने की।
खूद को खूद से मिले सुकुन,
ख्वाहिश रख ले ऐसे जीने की।।
ख्वाहिशें रखलो तूम... वतन पे फिदा होने की.....
तय कर लेना आपने आप से,
सो प्रतिशत वतन पे मरने की।
उम्र खुशी से कट जायेगी तेरी,
जरूरत नहीं अंधेरों में जीने की।।
ख्वाहिशें रखलो तूम... वतन पे फिदा होने की........
स्वरचित - कृष्णा वाघमारे, कुंभार पिंपळगाव, ता. घनसावंगी जि. जालना 431211, महाराष्ट्र.
वतन पे फिदा
ख्वाहिशें रखलो तूम,
वतन पे फिदा होने की।
हर कोई तो रखता ख्वाहिश,
मौज मजे से जीने की।।
ख्वाहिशें रखलो तूम... वतन पे फिदा होने की....
हजारो ख्वाहिशें ऐसे ही,