आज का दिन बहुत #भारी था एकांत को #पिघला कर उसमें | हिंदी शायरी

"आज का दिन बहुत #भारी था एकांत को #पिघला कर उसमें #व्यस्त रहती हूं #इंसान हूं #मुरझा कर भी #मस्त रहती हूं..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ 😌😄😌😄😌😄😌 ©Anuradha T Gautam 6280"

 आज का दिन बहुत #भारी था
एकांत को #पिघला कर 
उसमें #व्यस्त रहती हूं
#इंसान हूं
#मुरझा कर भी #मस्त रहती हूं..🖊️
#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️
😌😄😌😄😌😄😌

©Anuradha T Gautam 6280

आज का दिन बहुत #भारी था एकांत को #पिघला कर उसमें #व्यस्त रहती हूं #इंसान हूं #मुरझा कर भी #मस्त रहती हूं..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ 😌😄😌😄😌😄😌 ©Anuradha T Gautam 6280

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