देखो यहां भी मज़बूत बना लिया मैने खुदको जब फाड़

"देखो यहां भी मज़बूत बना लिया मैने खुदको जब फाड़ कर जज्बात रूपी कविता मेरी कोशिश की तुमने मेरा "मैं" मिटाने की मगर असफल रहे चुकीं वो महफूज़ है ज़मीर रूपी कोख में मेरी जिन्हें मिटाने के लिए तुम्हें मेरा अस्तित्व मिटाना होगा ©Drishti Nagpal"

 देखो यहां भी मज़बूत बना लिया मैने खुदको 


जब फाड़ कर जज्बात रूपी कविता मेरी कोशिश की तुमने मेरा "मैं" मिटाने की
मगर असफल रहे
चुकीं वो महफूज़ है ज़मीर रूपी कोख में मेरी जिन्हें मिटाने के लिए तुम्हें मेरा अस्तित्व मिटाना होगा

©Drishti Nagpal

देखो यहां भी मज़बूत बना लिया मैने खुदको जब फाड़ कर जज्बात रूपी कविता मेरी कोशिश की तुमने मेरा "मैं" मिटाने की मगर असफल रहे चुकीं वो महफूज़ है ज़मीर रूपी कोख में मेरी जिन्हें मिटाने के लिए तुम्हें मेरा अस्तित्व मिटाना होगा ©Drishti Nagpal

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