हाँ वो नर है पर तुम नारी हो... उस नर को भी कोख में | हिंदी कविता

"हाँ वो नर है पर तुम नारी हो... उस नर को भी कोख में धारण करने वाली हो, बस इतना एहसान करना उसके कहने का इंतज़ार ना करना, वो नहीं कहेगा मन की उदासी और तकलीफ सारी, तुम नारी हो उसकी खामोशी को समझना, कभी ऐसी जिद ना करना जिससे मजबूत कहा जाने वाला पिता भी कमजोर पाए खुद को, कभी मजाक ना उड़ाना उस पिता के दिए संस्कारों का, मत ताने देना पति को तुम इतना नहीं कमाते या इतना मुझे नहीं चाहते, रक्षा सूत्र बाँधे कई उस भाई की कलाई पर...बोझ ना बनना उसके कंधों का, अगर सच में है उससे प्रेम तो तुम माँ हो, बहु या माँ में से किसी एक को चुनने का मत कहना, आये दिन के घर के झगडो़ में बेटे को मत कोसना, तुम पुरुष हो औरतों की तरह क्या रोते हो भावनायें खुद उसकी रोक, कही किसीको ज्ञान ना देना की औरतों से ज्यादा हृदयाघात पुरुषों को होते हैं... हाँ वो नर है पर तुम नारी हो, उस नर को भी कोख में धारण करने वाली हो... वो अधूरा हैं तुम्हारे बिना तो तुम भी तो उसके बिना अधूरी हो... ©Priya Gour"

 हाँ वो नर है पर तुम नारी हो...
उस नर को भी कोख में धारण करने वाली हो,
बस इतना एहसान करना उसके कहने का इंतज़ार ना करना,
वो नहीं कहेगा मन की उदासी और तकलीफ सारी,
तुम नारी हो उसकी खामोशी को समझना,
कभी ऐसी जिद ना करना जिससे मजबूत कहा जाने वाला पिता भी कमजोर पाए खुद को,
कभी मजाक ना उड़ाना उस पिता के दिए संस्कारों का,
मत ताने देना पति को तुम इतना नहीं कमाते या इतना मुझे नहीं चाहते,
रक्षा सूत्र बाँधे कई उस भाई की कलाई पर...बोझ ना बनना उसके कंधों का,
अगर सच में है उससे प्रेम तो तुम माँ हो, बहु या माँ में से किसी एक को चुनने का मत कहना,
आये दिन के घर के झगडो़ में बेटे को मत कोसना,
तुम पुरुष हो औरतों की तरह क्या रोते हो भावनायें खुद उसकी रोक,
कही किसीको ज्ञान ना देना की औरतों से ज्यादा हृदयाघात पुरुषों को होते हैं...
हाँ वो नर है पर तुम नारी हो,
उस नर को भी कोख में धारण करने वाली हो...
वो अधूरा हैं तुम्हारे बिना तो तुम भी तो उसके बिना अधूरी हो...

©Priya Gour

हाँ वो नर है पर तुम नारी हो... उस नर को भी कोख में धारण करने वाली हो, बस इतना एहसान करना उसके कहने का इंतज़ार ना करना, वो नहीं कहेगा मन की उदासी और तकलीफ सारी, तुम नारी हो उसकी खामोशी को समझना, कभी ऐसी जिद ना करना जिससे मजबूत कहा जाने वाला पिता भी कमजोर पाए खुद को, कभी मजाक ना उड़ाना उस पिता के दिए संस्कारों का, मत ताने देना पति को तुम इतना नहीं कमाते या इतना मुझे नहीं चाहते, रक्षा सूत्र बाँधे कई उस भाई की कलाई पर...बोझ ना बनना उसके कंधों का, अगर सच में है उससे प्रेम तो तुम माँ हो, बहु या माँ में से किसी एक को चुनने का मत कहना, आये दिन के घर के झगडो़ में बेटे को मत कोसना, तुम पुरुष हो औरतों की तरह क्या रोते हो भावनायें खुद उसकी रोक, कही किसीको ज्ञान ना देना की औरतों से ज्यादा हृदयाघात पुरुषों को होते हैं... हाँ वो नर है पर तुम नारी हो, उस नर को भी कोख में धारण करने वाली हो... वो अधूरा हैं तुम्हारे बिना तो तुम भी तो उसके बिना अधूरी हो... ©Priya Gour

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