गहरे ज़ख्म-1
हसरतों के ख़ामोश क़त्ल होते रहे,
गहरे ज़ख्म दिल को यूँ डुबोते रहे,
ग़ैरों से गिला तो हम क्या ही करते,
अपने ही जब सीने में नश्तर चुभोते रहे।
दिल पर लगे ज़ख्मों की कहानी ये रही,
अपनी चुप्पी में ही हम उन्हें पिरोते रहे।
©Divya Joshi
#Women
गहरे ज़ख्म
हसरतों के ख़ामोश क़त्ल होते रहे,
गहरे ज़ख्म दिल को यूँ डुबोते रहे,
ग़ैरों से गिला तो हम क्या ही करते,
अपने ही जब सीने में नश्तर चुभोते रहे।
दिल पर लगे ज़ख्मों की कहानी ये रही,