सोचता हूं आज आप की तारीफ में फिर कुछ लिखा जाए,
देखकर आपको रोज आईना भी है शर्माए,
लेकिन सोचता हूं कहां से तारीफ की शुरुआत करूँ,
कान के झुमके को देखूं या पांव की पायल की बात करूं,
बहुत खुश नसीब हो जो ईश्वर ने इतना सुंदर बनाया है,
अपने हाथों से फुर्सत में तुम्हें संवारा सजाया है,
सूरज की लाली सी दमक रही हो,
पूर्णिमा की चांदनी सी चमक रही हो,
एक तरफ गुलाब को लजाती मुस्कान कमाल है,
दूसरी तरफ घटाओं से कांधे पर लहराते सुनहरे बाल हैं,
गुलाबी पंखुड़ी से होंठ मदहोश करें हर दिल,
गहरी आंखें जिसमें राही ढूंढे हैं मंजिल,
हर अदा है ऐसी 'धीर' जिस पर सजदा किया जाए,
सोचता हूं आज आपकी तारीफ में फिर कुछ लिखा जाए।।
©Dheer
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