जिंदिगी के इन पहेलियों के संग क्यों बार यह तारा उलझता हुआ दिखाई देता है।
जहाँ यह दलदल मे नजाने कोनसी पहेली सुलझाते हुए दिखाई देता है,
कभी चलते कभी रुखते दिखाई देता है।
स्वर्ग यह दिव्य, अब भी रुखता दिखाई देता है आकुलता नहीं, इंतज़ार है,
दोष बस तमुझमे नही, अक्सर झिलमिलाता तारा भी टुटा करता है, सांझ भी रोया करता है।
Hardwork leads to success
Never let your problems lwt you down. God ia with you Always
-Sayanika Das
©Poet Sayanika Das
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