"मशहूर हम अहले वफा हुस्न को रुसवा नहीं करते।
पर्दे में हो चेहरा तो देखा नहीं करते।
अपने अरमानों को जला के रोशनी कर लेते हैं
हम मांग के चरागों का उजाला नहीं करते।।"
मशहूर हम अहले वफा हुस्न को रुसवा नहीं करते।
पर्दे में हो चेहरा तो देखा नहीं करते।
अपने अरमानों को जला के रोशनी कर लेते हैं
हम मांग के चरागों का उजाला नहीं करते।।