बहुत दिनों बाद आखिरकार उसे मेरी याद आई
बदहाल सी गर्मी मे आज घनघोर काली घटा छाई
उसने आंखों से छलकाया मुझपर प्रेम जो
बारिश की बुंदेंं भी धर्ती पर बरस आईं
सुहाने मौसम के बहाने वो आया जो मेरे दीदार को
सोंधी मिट्टी का इतर घोलकर हवाएं भी उसका संदेशा ले आईं
अरसा गुज़र गया था इंतज़ार में जिसके
बहुत दिनों बाद आखिरकार उसे मेरी याद आई
©Shreya Dikshit
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