बहुत दिनों बाद आखिरकार उसे मेरी याद आई बदहाल सी गर | हिंदी Shayari

"बहुत दिनों बाद आखिरकार उसे मेरी याद आई बदहाल सी गर्मी मे आज घनघोर काली घटा छाई उसने आंखों से छलकाया मुझपर प्रेम जो बारिश की बुंदेंं भी धर्ती पर बरस आईं सुहाने मौसम के बहाने वो आया जो मेरे दीदार को सोंधी मिट्टी का इतर घोलकर हवाएं भी उसका संदेशा ले आईं अरसा गुज़र गया था इंतज़ार में जिसके बहुत दिनों बाद आखिरकार उसे मेरी याद आई ©Shreya Dikshit"

 बहुत दिनों बाद आखिरकार उसे मेरी याद आई
बदहाल सी गर्मी मे आज घनघोर काली घटा छाई

 उसने आंखों से छलकाया मुझपर प्रेम जो
बारिश की बुंदेंं भी धर्ती पर बरस आईं

सुहाने मौसम के बहाने वो आया जो मेरे दीदार को
सोंधी मिट्टी का इतर घोलकर हवाएं भी उसका संदेशा ले आईं

अरसा गुज़र गया था इंतज़ार में जिसके
बहुत दिनों बाद आखिरकार उसे मेरी याद आई

©Shreya Dikshit

बहुत दिनों बाद आखिरकार उसे मेरी याद आई बदहाल सी गर्मी मे आज घनघोर काली घटा छाई उसने आंखों से छलकाया मुझपर प्रेम जो बारिश की बुंदेंं भी धर्ती पर बरस आईं सुहाने मौसम के बहाने वो आया जो मेरे दीदार को सोंधी मिट्टी का इतर घोलकर हवाएं भी उसका संदेशा ले आईं अरसा गुज़र गया था इंतज़ार में जिसके बहुत दिनों बाद आखिरकार उसे मेरी याद आई ©Shreya Dikshit

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