White दिल के दिल मुझे खुद से जु

"White दिल के दिल मुझे खुद से जुदा होकर खुद के पास जाना हैं! बता! मुझे दिल के दिल तक कैसे जाना हैं? तुम्हें क्यों मुझसे मोहब्बत नहीं होती और मुझे तुमसे क्यों नफरत नहीं होती इस जहां में बहोत कुछ है होने को मेरे दोस्त! फिर तुम्हारे साथ मेरी जुगलबंदी क्यों नहीं होती मुझे खुद से जुदा होकर खुद के पास जाना हैं! बता! मुझे दिल के दिल तक कैसे जाना हैं? तुम्हें क्यों मुझसे वफा नहीं होती और मुझे क्यों तुमसे शिकायत नहीं होती इस जहां में बहोत कुछ है समझने को मेरे दोस्त ! फिर तुम्हारे साथ मेरी मिलावट क्यों नहीं होती मुझे खुद से जुदा होकर खुद के पास जाना हैं! बता! मुझे दिल के दिल तक कैसे जाना हैं? तुम्हें क्यों मुझसे बातें करनी नहीं होती और मुझे तुमसे क्यों कोई बात छुपानी नहीं होती इस जहां में बहोत कुछ है जताने को मेरे दोस्त? फिर तुम्हारे साथ मेरी प्यार में दोस्ती क्यों नहीं होती मुझे खुद से जुदा होकर खुद के पास जाना हैं! बता! मुझे दिल के दिल तक कैसे जाना हैं? ©Parth kapadiya"

 White                  दिल के दिल 

मुझे खुद से जुदा होकर खुद के पास जाना हैं!
बता! मुझे दिल के दिल तक कैसे जाना हैं?

तुम्हें क्यों मुझसे मोहब्बत नहीं होती 
और मुझे तुमसे क्यों नफरत नहीं होती
इस जहां में बहोत कुछ है होने को मेरे दोस्त! 
फिर तुम्हारे साथ मेरी जुगलबंदी क्यों नहीं होती

मुझे खुद से जुदा होकर खुद के पास जाना हैं!
बता! मुझे दिल के दिल तक कैसे जाना हैं?

तुम्हें क्यों मुझसे वफा नहीं होती
और मुझे क्यों तुमसे शिकायत नहीं होती
इस जहां में बहोत कुछ है समझने को मेरे दोस्त !
फिर तुम्हारे साथ मेरी मिलावट क्यों नहीं होती

मुझे खुद से जुदा होकर खुद के पास जाना हैं!
बता! मुझे दिल के दिल तक कैसे जाना हैं?

तुम्हें क्यों मुझसे बातें करनी नहीं होती
और मुझे तुमसे क्यों कोई बात छुपानी नहीं होती
इस जहां में बहोत कुछ है जताने को मेरे दोस्त?
फिर तुम्हारे साथ मेरी प्यार में दोस्ती क्यों नहीं होती

मुझे खुद से जुदा होकर खुद के पास जाना हैं!
बता! मुझे दिल के दिल तक कैसे जाना हैं?

©Parth kapadiya

White दिल के दिल मुझे खुद से जुदा होकर खुद के पास जाना हैं! बता! मुझे दिल के दिल तक कैसे जाना हैं? तुम्हें क्यों मुझसे मोहब्बत नहीं होती और मुझे तुमसे क्यों नफरत नहीं होती इस जहां में बहोत कुछ है होने को मेरे दोस्त! फिर तुम्हारे साथ मेरी जुगलबंदी क्यों नहीं होती मुझे खुद से जुदा होकर खुद के पास जाना हैं! बता! मुझे दिल के दिल तक कैसे जाना हैं? तुम्हें क्यों मुझसे वफा नहीं होती और मुझे क्यों तुमसे शिकायत नहीं होती इस जहां में बहोत कुछ है समझने को मेरे दोस्त ! फिर तुम्हारे साथ मेरी मिलावट क्यों नहीं होती मुझे खुद से जुदा होकर खुद के पास जाना हैं! बता! मुझे दिल के दिल तक कैसे जाना हैं? तुम्हें क्यों मुझसे बातें करनी नहीं होती और मुझे तुमसे क्यों कोई बात छुपानी नहीं होती इस जहां में बहोत कुछ है जताने को मेरे दोस्त? फिर तुम्हारे साथ मेरी प्यार में दोस्ती क्यों नहीं होती मुझे खुद से जुदा होकर खुद के पास जाना हैं! बता! मुझे दिल के दिल तक कैसे जाना हैं? ©Parth kapadiya

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