बादल चाहे कितने भी हो पर उस पार सूरज होता ही है। | हिंदी कविता

"बादल चाहे कितने भी हो पर उस पार सूरज होता ही है। अंधेरा चाहे कितना भी हो दिन तो निकलता ही है। बुरा वक़्त अच्छे की कदर करवाने को आता है। समय चाहे कैसा भी हो, समय समय को बदलता ही है। ©JigishBarot"

 बादल चाहे कितने भी हो पर 
उस पार सूरज होता ही है। 
अंधेरा चाहे कितना भी हो 
दिन तो निकलता ही है। 
बुरा वक़्त अच्छे की कदर करवाने
 को आता है। 
समय चाहे कैसा भी हो, 
समय समय को बदलता ही है।

©JigishBarot

बादल चाहे कितने भी हो पर उस पार सूरज होता ही है। अंधेरा चाहे कितना भी हो दिन तो निकलता ही है। बुरा वक़्त अच्छे की कदर करवाने को आता है। समय चाहे कैसा भी हो, समय समय को बदलता ही है। ©JigishBarot

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