इश्क़ का परिन्दा हर वक़्त फरार रेहता है, जब तक उसे | हिंदी Shayari

"इश्क़ का परिन्दा हर वक़्त फरार रेहता है, जब तक उसे देख ना लूँ तो ये दिल बेकरार रेहता है, ये कैसा इश्क़ है समझ नहीं आता, हर वक़्त उसी का इन्तजार रेहता है ©Sagar chauhan"

 इश्क़ का परिन्दा हर वक़्त फरार रेहता है,

जब तक उसे देख ना लूँ तो ये दिल बेकरार रेहता है,

ये कैसा इश्क़ है समझ नहीं आता,

हर वक़्त उसी का इन्तजार रेहता है

©Sagar chauhan

इश्क़ का परिन्दा हर वक़्त फरार रेहता है, जब तक उसे देख ना लूँ तो ये दिल बेकरार रेहता है, ये कैसा इश्क़ है समझ नहीं आता, हर वक़्त उसी का इन्तजार रेहता है ©Sagar chauhan

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