घर की दीवारों से आवाज़ लगाता है कोई
मुझको अपनी ओर बुलाता है कोई
देता है दस्तक ख्वाबों में मेरे
दिल के दरवाजे को खटखटाता है कोई
मांगता है दुआ दिन रात मेरे लिए
मुझको मुश्किलों से बचाता है कोई
गुजरता हूं जिन जिन रास्तों से मैं
वहां से मेरे पैरों की धूल उठाता है कोई
करता है बातें तन्हाई में मुझसे रातों को
नीद में सहलाता है कोई
जिन गीतों को लिखा था मैंने दोस्तों
उनको आजकल गुनगुनाता है कोई
©KUSHAL
#Night