"एक पेड़ की छांव
दूसरा बस शांत माहौल
काफी हैं तेरी याद में खो जाने को
लगता हैं सब कुछ मेरी आँखों के सामने हो
इन पंछियों की चल चलाहट भी संगीत में बदल जाती है
फिर बारी आती है अंधेरे की
जो सब कुछ बुला घर की ओर जाने
की याद दिलाता है
चल पड़ते हैं घर की तरफ़ मेरे पाँव
पीछे रह जाती हैं तेरी याद
और
उस पेड़ की छांव
उस पेड़ की छांव
©Surya"