एक पेड़ की छांव दूसरा बस शांत माहौल काफी हैं तेरी | हिंदी कविता

"एक पेड़ की छांव दूसरा बस शांत माहौल काफी हैं तेरी याद में खो जाने को लगता हैं सब कुछ मेरी आँखों के सामने हो इन पंछियों की चल चलाहट भी संगीत में बदल जाती है फिर बारी आती है अंधेरे की जो सब कुछ बुला घर की ओर जाने की याद दिलाता है चल पड़ते हैं घर की तरफ़ मेरे पाँव पीछे रह जाती हैं तेरी याद और उस पेड़ की छांव उस पेड़ की छांव ©Surya"

 एक पेड़ की छांव
दूसरा बस शांत माहौल 
काफी हैं तेरी याद में खो जाने को
लगता हैं सब कुछ मेरी आँखों के सामने हो
इन पंछियों की चल चलाहट भी संगीत में बदल जाती है
फिर बारी आती है अंधेरे की 
जो सब कुछ बुला घर की ओर जाने 
की याद दिलाता है 

चल पड़ते हैं घर की तरफ़ मेरे पाँव
पीछे रह जाती हैं तेरी याद
और 
उस पेड़ की छांव
उस पेड़ की छांव

©Surya

एक पेड़ की छांव दूसरा बस शांत माहौल काफी हैं तेरी याद में खो जाने को लगता हैं सब कुछ मेरी आँखों के सामने हो इन पंछियों की चल चलाहट भी संगीत में बदल जाती है फिर बारी आती है अंधेरे की जो सब कुछ बुला घर की ओर जाने की याद दिलाता है चल पड़ते हैं घर की तरफ़ मेरे पाँव पीछे रह जाती हैं तेरी याद और उस पेड़ की छांव उस पेड़ की छांव ©Surya

एक पेड़ की छांव
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