नूह दंगों ने तोड़ के रख दी कमर मेरे इस हरियाणा की
शर्म लिहाज़ छोड़ के रख दी कमर मेरे इस हरियाणा की
गाड़ी फूँकी जली दुकानें, ना जाने हुई कितनी मौतें
अर्थव्यवस्था मोड़ के रख दी कमर मेरे इस हरियाणा की
राजनीति का पहन मुखौटा अपनी रोटी सेंक रहे हैं
आंखों कुर्सी ओढ़ के रख दी कमर मेरे इस हरियाणा की
धर्म नाम पर दंगे होते,आख़िर कौन शहंशाह है
नसें अक्ल की मरोड़ के रख दी कमर मेरे इस हरियाणा की
एक दिन ऐसा आने वाला, जब तुम छत को तरसोगे
सचिन किस्मत फोड़ के रख दी कमर मेरे इस हरियाणा की
© सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत
03-08-2023
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Burning_tears_797
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©sachin goel
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