तस्वीर उम्मीदें रहीं ना ख़्वाहिशें ही रहीं,
जो तू ना रही, ज़िंदगी ना रही।
वजह थी और मौके भी रहे,
पर हँसी में वो ख़ुशी ना रही,
ख़ुदा का यकीं तो रहा,
बंदों में बंदगी ना रही।
मन में यादें तो रहीं,
यादों में वफ़ा ना रही,
सफ़र में शिद्दत थी मगर,
मंज़िल में सफ़ा ना रही।
रविकुमार
©Ravi Kumar Panchwal
उम्मीदें रहीं ना ख़्वाहिशें ही रहीं,
जो तू ना रही, ज़िंदगी ना रही।
वजह थी और मौके भी रहे,
पर हँसी में वो ख़ुशी ना रही,
ख़ुदा का यकीं तो रहा,
बंदों में बंदगी ना रही।
मन में यादें तो रहीं,
यादों में वफ़ा ना रही,