( दोस्ती ) यारी है ऐसी लगता है सदियों पुरानी गूजर | हिंदी कविता

"( दोस्ती ) यारी है ऐसी लगता है सदियों पुरानी गूजर जाये जमाना बातें है इतनी दो जुबानी रिश्ता है ऐसा दिल से दिल का, वो बात समज जाए बिना लफ्जों के. क्योंकि ये दोस्ती है बहुत साल पुरानी। उसके साथ बिता हर पल है यादगार, उसके साथ खेला हर खेल है यादगार, उसके साथ किया हर सफर है यादगार, क्योंकि ये दोस्ती है बहुत साल पुरानी। मेरे गम में साथ , मेरी खुशीओ में साथ, ऐसी एक दोस्त है मेरी, एक दोस्त से बढ़कर जान है मेरी क्योंकि ये दोस्ती है बहुत साल पुरानी। अब बस यही दुआ है, ये साथ ना छूटे जब तक है सासें मेरी साथ ना होकर भी ये साथ रहे हरदम क्योंकि ये दोस्ती है बहुत साल पुरानी। ©Ruh"

 ( दोस्ती )
यारी है ऐसी लगता है सदियों पुरानी
गूजर जाये जमाना बातें है इतनी दो जुबानी
रिश्ता है ऐसा दिल से दिल का,
वो बात समज जाए बिना लफ्जों के.
         क्योंकि ये दोस्ती है बहुत साल पुरानी।
उसके साथ बिता हर पल है यादगार,
उसके साथ खेला हर खेल है यादगार,
उसके साथ किया हर सफर है यादगार,
         क्योंकि ये दोस्ती है बहुत साल पुरानी।
मेरे गम में साथ ,
मेरी खुशीओ में साथ,
ऐसी एक दोस्त है मेरी,
एक दोस्त से बढ़कर जान है मेरी
          क्योंकि ये दोस्ती है बहुत साल पुरानी।
अब बस यही दुआ है,
ये साथ ना छूटे जब तक है सासें मेरी 
साथ ना होकर भी ये साथ रहे हरदम 
          क्योंकि ये दोस्ती है बहुत साल पुरानी।

©Ruh

( दोस्ती ) यारी है ऐसी लगता है सदियों पुरानी गूजर जाये जमाना बातें है इतनी दो जुबानी रिश्ता है ऐसा दिल से दिल का, वो बात समज जाए बिना लफ्जों के. क्योंकि ये दोस्ती है बहुत साल पुरानी। उसके साथ बिता हर पल है यादगार, उसके साथ खेला हर खेल है यादगार, उसके साथ किया हर सफर है यादगार, क्योंकि ये दोस्ती है बहुत साल पुरानी। मेरे गम में साथ , मेरी खुशीओ में साथ, ऐसी एक दोस्त है मेरी, एक दोस्त से बढ़कर जान है मेरी क्योंकि ये दोस्ती है बहुत साल पुरानी। अब बस यही दुआ है, ये साथ ना छूटे जब तक है सासें मेरी साथ ना होकर भी ये साथ रहे हरदम क्योंकि ये दोस्ती है बहुत साल पुरानी। ©Ruh

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