लौट गया वो पल उसे फिर से ले आओ
बचपन की उस मस्ती की टोली को फिर से ले आओ।
खिले हम वो मुस्कान बनकर, जिसमें वो सच्चाई बचपन वाली हो।
आजाद पंछी मस्त मौला थे हम।
उस बचपन की वो आहट तो ले आओ। छुपकर जब मां से , हम घर से निकला करते थे खेल के मैदान में पापा छड़ी लेकर दौड़ा करते थे।
डर कर हम मां के आंचल में छुप जाया करते थे।।
वो मां कि गोदी फिर से महसूस करने दो ।
मुझे मेरा बचपन फिर से जीने दो।।
kudrat rawal
©Asha
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