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धूल की तरह उड़ती है अफबाहे सच जानने के लिए सब्र क | हिंदी शायरी

"धूल की तरह उड़ती है अफबाहे सच जानने के लिए सब्र करना पड़ता है ©बीरेंद्र महराज अजब गजब शायर"

 धूल की तरह उड़ती है अफबाहे सच 
जानने के लिए सब्र करना पड़ता है

©बीरेंद्र महराज अजब गजब शायर

धूल की तरह उड़ती है अफबाहे सच जानने के लिए सब्र करना पड़ता है ©बीरेंद्र महराज अजब गजब शायर

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