अकसर टूटते तारे पर ना-मुकम्मल हुई दुआओं के इल्ज़ाम | हिंदी शायरी

"अकसर टूटते तारे पर ना-मुकम्मल हुई दुआओं के इल्ज़ामात लगते देखा है बावज़ूद टूटने के किस्मत के गुनाहों का बोझ ढोते देखा है। ©R."

 अकसर टूटते तारे पर ना-मुकम्मल हुई दुआओं के इल्ज़ामात लगते देखा है 

बावज़ूद टूटने के किस्मत के गुनाहों का 
बोझ ढोते देखा है।

©R.

अकसर टूटते तारे पर ना-मुकम्मल हुई दुआओं के इल्ज़ामात लगते देखा है बावज़ूद टूटने के किस्मत के गुनाहों का बोझ ढोते देखा है। ©R.

#टूटता
#unkahikahani

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