समझनी पड़ती है उम्मीद और जिम्मेदारिया, चंद दीवार | हिंदी कविता

"समझनी पड़ती है उम्मीद और जिम्मेदारिया, चंद दीवार और छत से घर नही बनते ✌✌ ©Kumar Naresh"

 समझनी पड़ती है उम्मीद और जिम्मेदारिया, 
चंद दीवार और छत से घर नही बनते
✌✌

©Kumar Naresh

समझनी पड़ती है उम्मीद और जिम्मेदारिया, चंद दीवार और छत से घर नही बनते ✌✌ ©Kumar Naresh

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