अपनी जिंदगी का तो कुछ अलग ही वसूल है तेरे प्यार मे | हिंदी शायरी
"अपनी जिंदगी का तो कुछ अलग ही वसूल है तेरे प्यार में तो कांटे भी कबूल है तेरे लिए तो मैं कांच के टुकड़ों पर भी जल्द हूं अगर तू कह दे कि मेरे बिछाए हुए फूल है"
अपनी जिंदगी का तो कुछ अलग ही वसूल है तेरे प्यार में तो कांटे भी कबूल है तेरे लिए तो मैं कांच के टुकड़ों पर भी जल्द हूं अगर तू कह दे कि मेरे बिछाए हुए फूल है