तुम्हारे साथ तुम बिन जीने की आदत सी हो गई है..
मुझे सन्नाटों के शोर की आदत सी हो गई है..
बेवजह रात भर यूँ गिनते रहे फालक के तारे..
मुझे सितारों संग गुफ़्तगु की आदत सी हो गई है..
मौसम का हीना अब मेरी हथेली से उतरती नहीं..
मुझे कुदरत के क़ुरबत की आदत सी हो गई है..
वादियों में गूँजा करती है उनकी गज़लें ..
मुझे बेवजह गुनगुनाने की आदत सी हो गई है..
अब लौट के आओ तो ये 'रूह' ले जाना..
मुझे बे-जिस्म जीने की आदत सी हो गई है..
©Rooh
##rooh##rooh##आदत सी हो गई है 😍😍
#pyaar