में रेत हु,तू समुंद्र का पानी तेरे बिना मैं नहीं मेरे बिना तू नहीं फिर भी आज जी रहे हैं अपनी अलग-अलग जिंदगानी, में रेत की तरह ठहर गया तु पानी स वह गया ये कैसी है जवानी तू तेरी फितरत से मजबूर था में अपनी आदत ना बदल पाया यही है हमारी अधूरी जिंदगी की कहानी....
©Radha Khatri
#fog Ret or pani