माफ़ करना मैं उसूल अपने भूल गया ,
देखा उन्हें तो हद अपनी भूल गया ।
वो थोड़ी थी मुलाकात मगर ऐसी थी ,
मैं खुद अपना पता भूल गया ।
वो अदा कातिल इस कदर दीवाना कर गई मुझको ,
खेलना आदत है उनकी जुल्फ़ों से मैं ये भूल गया ।
देखकर रुख हवा का परवाज़ भर बैठा ,
घायल परिन्दा था मैं ये भूल गया ।
बहक गया था देख रवानी दरिया की ,
ठहरा पानी था मैं ये भूल गया ।।
ओमी
©Omi Sharma
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